Monday, December 7, 2009

"इमामबाड़ा आगा नजफ़ अली साहब"

ये है ,इमामबाड़ा मरहूम आगा नजफ़ अली साहब । जो की लगभग २०० साल पुराना है, इसका हाल इन तस्वीरों से बयां है । इसे इंतज़ार है है उस मोमिन की जो इसकी बका में कुछ Donation करे सके ।

इमामबाड़े की तस्वीर में दिख रही इस दीवार की हालत बहुत खस्ता है ......

ये दीवार उस हुजरे की है जिसमे हर साल १०वी मुहर्रम को ज़ुल्जनाह सजाया जाता है ......

ये दीवार उस हुजरे की है जहाँ खवातीन बैठकर मजलिसे सुनती है .....

तस्वीर में पीछे दिख रही दीवार का काफ़ी हिस्सा गिर चुका है ......
इमामबाड़े का दरवाज़ा जिसे इस साल सैयेद यासिर हैदर जाफरी ने सही करवाया .........
इमामबाड़े की टूटी दीवार को बनाते मजदूर.......
ये दीवार उस जगह की है जहा जरी-ऐ-मुबारक रखी जाती है......


इमामबाड़े की सीलन लगी दीवारे......

इमामबाड़े के गिरे हुए दरवाज़े को फ़िर से लगाते कारीगर .....


इमामबाड़े जर्जर दीवार को सही करता मजदूर ......

इमामबाड़े की छत के जर्जर गाटर .....


इमाम चौक के पीछे टूटी हुई दीवार को बनाते मजदूर .....

इमामबाड़े को बड़ा करने के लिए खाली पड़ी ज़मीन .......


टूटी हुई दीवार को बनते मजदूर....

जो कोई भी मोमिन इस बारे में कोई जानकारी चाहता है या इमामबाड़े के लिए Donation
करना चाहता है वो अंजुमन सज्जादिया असगरिया के सदर जनाब यासिर हैदर जाफरी साहब से इस फोन नम्बर पर राबता कायम करे ........९४५०५४४८८३

Wednesday, July 29, 2009

"जश्ने यौमे वेलादत शहंशाहे कर्बला इमाम हुसैन"

शहंशाहे कर्बला हज़रत इमाम हुसैन की जश्ने यौमे वेलादत इस बार अंजुमन सज्जादिया असगरिया ने एक नए तरीके से मनाया । जिस तरह दुलहीपुर के लोग मुहर्रम में गम मिलकर मानते है उसी तरह आज के दिन सभी धर्म व समुदाये के लोगों ने एक जूट होकर जश्ने यौमे वेलादत मनाया । जिसमे सभी लोगों को आज के दिन शरबत और मिठाइयाँ खिलाकर खुशियाँ मनाई गई । इस प्रोग्राम के मेहमाने खुसूसी थे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री वा बानी मोहमद अली जौहर यूनिवर्सिटी रामपुर मोहतरम जनाब आज़म खां साहब ।


एस सायबर वर्ल्ड के सामने लगी सबील में शरबत और मिठाई खाते लोग


एस सायबर वर्ल्ड के सामने लगी सबील में बैठे दुलहीपुर के ताजियादार



दुलहीपुर के लोगों ने आज़म खां साहब का इस्तेकबाल बहुत ही जोश के साथ किया




सबील में शरबत पीते जनाब आज़म खा साहब

शहर के नामी अखबारों ने इस ख़बर को अपने अखबारमें प्रमुखता से छापा ..............




Thursday, June 25, 2009

इमामबाडा हकीम साहब में मजलिस को खिताब फरमाते मौलाना सैयेद हसन अख्तर रिज़वी (खुम इरान )। ये मजलिस सरकारे वफ़ा मौला अब्बास के परचमे मुबारक के दुलहीपुर आने पर हुई । बाद मजलिस अंजुमन सज्जादिया असगरिया के मातमी दस्ते ने सीनाज़नी व नोहाखानी की ........

Friday, June 12, 2009

"ज़ियारते परचमे सरकारे वफ़ा"

"छिदी जो मश्के सकीना तो गिर गए अब्बास ,
वफ़ा का ऐसा पयम्बर मिले तो ले आओ । "




















Thursday, June 11, 2009

२८ जनवरी २००८ ,ये दिन दुलहीपुर की आज़दारी का यादगार दिन था ...हाँ हो भी क्यों ना आज ही के दिन सरकारे वफ़ा मौला अब्बास का परचम दुलहीपुर की सर ज़मी पर लाया गया । हम शुक्रिया अदा करते है आली जनाब मौलाना सैयेद हसन अख्तर रिज़वी (खुम इरान )और अंजुमन सज्जादिया असगरिया के सदरे मोहतरम जनाब सैयेद यासिर हैदर जाफरी का साथ ही वकील सैयेद जाफ़र मेहंदी (जस्बी) का .........

Tuesday, June 9, 2009

" हर कौम पुकारेगी हमारे है हुसैन "




हम क्यों न करे मातम शाहे ज़मन-शाहे ज़मन तेरा ,हम क्यों न करे मातम .................


अंजुमन सज्जादिया असगरिया का मातमी दस्ता १0 मुहर्रम कों दुलहीपुर जीटी रोड पर ज़ंजीर का मातम करता हुआ


" ज़माना देख ले क्या क्या मेरे हुसैन से है "

हाए-हुसैन,हाए-हुसैन,हाए-हुसैन .......७ मुहर्रम को ज़ंजीर के मातम के बाद शायरे अहलेबैत काशिफ जाफरी